व्यवस्था करनेवाला
वर्षों से, समिट एक प्रतिष्ठित आयोजन के रूप में विकसित हुआ है, जिसने पूर्वोत्तर भारत में आठ संस्करणों और छत्तीसगढ़ में एक संस्करण का सफलतापूर्वक आयोजन किया है। इस समिट ने नीति निर्माताओं, विचार नेताओं, और जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने वाले लोगों को एक मंच पर लाकर सतत विकास, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान को जोड़ने का कार्य किया है। इसमें पर्यावरणीय स्थिरता पर तकनीकी सत्र, प्रकृति से प्रेरित सांस्कृतिक कार्यक्रम और जनजातीय परंपराओं, कला और संस्कृति को समाहित करते हुए नवाचारों को प्रस्तुत किया गया है।
VIBGYOR N.E. फाउंडेशन की भूमिका:
फाउंडेशन न केवल सतत जीवन यापन को बढ़ावा देता है बल्कि जनजातीय परंपराओं, मूल्य प्रणाली और तकनीकों के संरक्षण के लिए भी सक्रिय रूप से कार्य करता है। यह समुदायों को पर्यावरण-अनुकूल उद्यमिता के अवसर प्रदान करता है और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक सतत विकास प्रथाओं के साथ जोड़ने की वकालत करता है।
छत्तीसगढ़ में विस्तार:
2024 में छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट के प्रथम संस्करण के आयोजन के साथ, फाउंडेशन ने मध्य भारत में सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। ‘ग्रीन इंडिया, क्लीन इंडिया’ की परिकल्पना के तहत, यह आयोजन विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता को एक मंच पर लाकर पर्यावरणीय संरक्षण और सांस्कृतिक अखंडता के बीच संतुलन स्थापित करता है।
मिशन और सहयोग:
फाउंडेशन पूर्वोत्तर भारत और छत्तीसगढ़ सहित मध्य भारत की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इसने भारतीय सेना, रेन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (जोरहाट), IIT गुवाहाटी, और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (रायपुर) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग अनुसंधान, पर्यावरण संरक्षण, और नीति आधारित रणनीतियों को मजबूती प्रदान करता है।
प्रमुख पहलें:
6वीं नॉर्थईस्ट ग्रीन समिट से प्रेरित होकर, DBT द्वारा प्रायोजित एक परियोजना शुरू की गई जिसका उद्देश्य हैलाकांदी (असम) के स्थानीय पौधों से उच्च-मूल्य वाले उत्पादों का निर्माण करना और जैव उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है।
2024 की उपलब्धियाँ:
छत्तीसगढ़ वन विभाग के साथ मिलकर प्रथम छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट का आयोजन किया गया, जिसमें लोक (जनजातीय) परंपराओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
दृष्टिकोण:
VIBGYOR N.E. फाउंडेशन एक सतत भविष्य की दिशा में कार्य कर रहा है, जो सहयोग, नवाचार और सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। यह पूर्वोत्तर और छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
पृष्ठभूमि:
छत्तीसगढ़ के लोग पारंपरिक रूप से प्रकृति के साथ संतुलन में रहते आए हैं। किंतु हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन, अनियमित वर्षा और प्रदूषण ने राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव डाला है। रायपुर जैसे शहर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार हुए हैं। साथ ही, जंगलों की कटाई और जलवायु असंतुलन ने जल स्रोतों और वन आवरण को भी प्रभावित किया है।
छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट 2025 का उद्देश्य:
इस संस्करण का उद्देश्य है जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर विचार-विमर्श करना और लोक (जनजातीय) परंपराओं के माध्यम से पर्यावरणीय संकट को अवसर में बदलना। यह आयोजन विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, उद्योगों, मीडिया और सिविल सोसाइटी को एक मंच पर लाकर सतत विकास की दिशा में ठोस रणनीतियाँ तैयार करने का प्रयास करेगा।
विशेषज्ञता और अनुभव:
UNEP, IIT गुवाहाटी सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग कर, फाउंडेशन ने सतत विकास के लिए एक सशक्त मंच प्रदान किया है। इसके परिणामस्वरूप असम के हैलाकांदी जिले में एक ग्रामीण जैव संसाधन परिसर (Rural Bio Resource Complex) की स्थापना हुई, जिससे स्थानीय समुदायों को रोजगार और विकास के अवसर प्राप्त हुए।
पिछले सहयोग:
फाउंडेशन ने IIT गुवाहाटी, NIT रायपुर, BSI, RFRI, UNDP, UNEP और विभिन्न राज्य पर्यटन विभागों सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर कार्य किया है। इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय आदि की सक्रिय भागीदारी रही है।
समिट के मुख्य उद्देश्य:
विचारशील नेताओं, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, छात्र संगठनों, मीडिया, NGOs आदि को एक मंच पर लाना
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से योजनाएँ बनाकर पर्यावरणीय संकट को अवसरों में बदलना
जनजातीय परंपराओं और आधुनिक विज्ञान का समावेश कर एक समावेशी और स्थायी विकास मॉडल को बढ़ावा देना
निष्कर्ष:
VIBGYOR N.E. फाउंडेशन की यह पहल छत्तीसगढ़ और पूरे भारत के लिए एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और नवाचार को जोड़कर हम एक हरित और स्वच्छ भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।