स्थल
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
कार्यक्रम तिथि
12-14 दिसंबर, 2025
छत्तीसगढ़ हरित शिखर
द्वितीय संस्करण
समर्थनकर्ता
सह-आयोजक
शैक्षणिक सहयोगी
ज्ञान सहयोगी
संचालित द्वारा
आयोजक
विबग्योर एन.ई. फाउंडेशन, जो नीति आयोग में पंजीकृत है (NITIDARPAN यूनिक आईडी: AS/2019/0248583), पर्यावरण एवं सतत विकास के क्षेत्र में उत्तर-पूर्व भारत सहित अन्य क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों का नेतृत्व कर रहा है।
इस फाउंडेशन ने 2016 में पहला नॉर्थईस्ट हरित शिखर सम्मेलन आयोजित किया था – उत्तर-पूर्व भारत में सतत विकास को एकीकृत दृष्टिकोण से सुनिश्चित करने की दिशा में यह पहली पहल थी।
छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में सतत विकास को बढ़ावा देना है, जिसके लिए सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के हितधारकों को एक मंच पर लाया जाएगा। यह समिट पर्यावरणीय संरक्षण को प्रोत्साहित करने और खनन, उद्योग तथा अन्य क्षेत्रों में जिम्मेदाराना व्यवहार को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
समिट में छत्तीसगढ़ और अन्य क्षेत्रों की हरित पहलों व सफलताओं को प्रदर्शित किया जाएगा, और नवाचार, सहयोग तथा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाएगा।
यह समिट छत्तीसगढ़ में पर्यावरणीय चुनौतियों और संभावनाओं के प्रति जागरूकता फैलाएगा तथा अनुसंधान, नवाचार और विशेषज्ञता के माध्यम से नीति और व्यवहार को मार्गदर्शन देगा।
समिट का उद्देश्य हितधारकों में सतत विकास और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के प्रति प्रतिबद्धता और कार्रवाई को प्रेरित करना है।
समिट के मुख्य विषय होंगे: हरित खनन, नवीकरणीय ऊर्जा, सतत कृषि, पार्यटन (इको-टूरिज्म) और जलवायु परिवर्तन – ताकि छत्तीसगढ़ के लिए एक हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
शिखर सम्मेलन की मुख्य आकर्षण

तकनीकी सत्र
अंतरदृष्टि, सहभागिता और नवाचार
ये सत्र विशेषज्ञ पैनल चर्चाओं और रोचक समानांतर गतिविधियों के बीच संतुलन स्थापित करते हैं, जिससे प्रतिभागियों के बीच अधिकतम सहभागिता को बढ़ावा मिलता है। सम्मेलन की संरचना इस तरह बनाई गई है कि यह गहन सीखने और सक्रिय भागीदारी के लिए विविध प्रारूपों को शामिल करे।
मुख्य आकर्षण:
• पूर्ण सत्र: अग्रणी विशेषज्ञों द्वारा व्यापक, उच्च-स्तरीय चर्चाएँ।
• इंटरएक्टिव पैनल: संचालित दर्शक प्रश्नोत्तर के साथ केंद्रित बहसें।
• कार्यशालाएँ: व्यावहारिक और अनुभव-आधारित गहन सीखने के सत्र।
• खुला प्रश्नोत्तर: मंच से वक्ताओं के साथ सीधा संवाद।
थीम: चर्चा करें। जुड़ें। नवाचार करें।

हरित ज्ञान पथ पर चलें
एक सहभागितापूर्ण ईको-लर्निंग ट्रेल
औषधीय पौधों और मोटे अनाजों से लेकर रीसाइक्लिंग कॉर्नर और जनजातीय ज्ञान केंद्रों तक, यह निर्देशित ट्रेल आगंतुकों को शिखर सम्मेलन स्थल के विभिन्न पर्यावरण-थीम आधारित क्षेत्रों से जुड़ने के लिए आमंत्रित करती है। प्रत्येक पड़ाव पर एक छोटा कार्य पूरा करें, अपने ग्रीन ट्रेल पासपोर्ट में एक मुहर लगवाएं और एक सार्थक पर्यावरण-अनुकूल इनाम प्राप्त करें।
मुख्य आकर्षण:
• प्रत्येक स्टेशन पर त्वरित, व्यावहारिक गतिविधियाँ
• सक्रिय भागीदारी के लिए मुहर संग्रह
• पूरा करने पर पर्यावरण-अनुकूल उपहार
• छात्र स्वयंसेवक मार्गदर्शन करते हुए
थीम: चलें। सीखें। बनाए रखें।

पर्यावरण अभिव्यक्तियाँ: मुख एवं टैटू कला
प्राकृतिक रंगों से प्रतीकात्मक मुख-चित्रण की एक जीवंत प्रस्तुति तथा जनजातीय टैटू परंपराओं के जीवंत प्रदर्शन — जो कला के माध्यम से जैव विविधता, जलवायु सहनशीलता और जनजातीय पहचान का उत्सव मनाते हैं।

जनजातीय सुर और नृत्य
सांस्कृतिक संध्याओं में परब नृत्य, देवार-कामा नृत्य, गेड़ी नृत्य, पंथी नृत्य तथा छत्तीसगढ़ लोक बैंड के प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा, जो लय और गतियों के माध्यम से प्रकृति का उत्सव मनाएंगे।

परफॉर्मेंस आर्ट – क्रिया में कला
फाइन आर्ट्स के छात्र जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और सततता जैसे विषयों पर विचारोत्तेजक लाइव एक्ट प्रस्तुत करेंगे। Recycle Me और Water is Life जैसी प्रमुख प्रस्तुतियाँ आंदोलन और दृश्य प्रतीकों के माध्यम से पर्यावरणीय संवाद को प्रेरित करेंगी।

लोककथा कहानी-कथन
मौखिक परंपराओं और लोककथाओं के माध्यम से प्रकृति की आध्यात्मिक भूमिका का अन्वेषण किया जाएगा, जिसमें पशु और पौधे ज्ञान और आपसी जुड़ाव के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत होंगे।

पारंपरिक वाद्य प्रस्तुति
ढपरा, नगाड़ा, तुदबुरी, मोरी-शहनाई और मंदर जैसे वाद्य यंत्रों की लाइव प्रस्तुति क्षेत्र की संगीत विरासत को उजागर करेगी।

हरित उद्यम क्षेत्र उचित
स्थानीय हरित उद्यमियों के लिए एक विशेष क्षेत्र, जहाँ वे सतत उत्पादों, नवाचारों और सेवाओं को प्रदर्शित करेंगे जो हरित जीवनशैली और बाज़ार पहुँच को प्रोत्साहित करते हैं।

पारंपरिक व्यंजन मंडप
महिला-नेतृत्व वाले स्टॉल पारंपरिक छत्तीसगढ़ी भोजन प्रस्तुत करेंगे, जो जनजातीय किण्वन और पौध-आधारित आहार पर आधारित है — क्षेत्र की गहरी पारिस्थितिक समझ को दर्शाते हुए।

खुले आकाश के नीचे सजीव प्रस्तुतियाँ
शाम के कार्यक्रमों में आदिवासी नृत्य, वाद्य प्रस्तुति और कहानी-कथन शामिल होंगे — माड़िया मोर नृत्य, गेड़ी नृत्य, ककसर नृत्य, कर्मा नृत्य, माड़ी कर्मा नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियाँ प्रमुख आकर्षण होंगी।

मुरिया पेंटिंग इंस्टॉलेशन
बस्तर की मुरिया चित्रकला परंपरा को समर्पित एक विशेष इंस्टॉलेशन, जनजातीय रूपांकनों और आधुनिक पारिस्थितिक विषयों को मिलाकर आदिवासी ज्ञान का उत्सव मनाएगा।

आर्ट वॉक – प्रकृति की गति में कला
आदिवासी कलाकार और छात्र प्रकृति-प्रेरित कला रूपों जैसे वन्यजीव चित्रकला, टैटू आर्ट, और पर्यावरण-अनुकूल हस्तशिल्प की लाइव प्रस्तुति देंगे। आगंतुकों को व्यावहारिक गतिविधियों में भाग लेने और सतत आदिवासी कला को प्रदर्शित करने वाले समर्पित मंडप का अन्वेषण करने का अवसर मिलेगा।

सृजन – योगिक जीवनशैली और वेलनेस
योग नृत्य प्रदर्शन, ध्यान कार्यशालाएँ और हर्बल भोजन परंपराएँ आंतरिक पारिस्थितिकी और सजग जीवनशैली को प्रोत्साहित करेंगी।

स्टॉल्स और लाइव लूम्स
प्रमुख कारीगर पर्यावरण-अनुकूल हस्तशिल्प जैसे घंटा धातु, लोहा, लकड़ी और मिट्टी के उत्पाद प्रदर्शित और विक्रय करेंगे। पारंपरिक तकनीकों और सतत प्रथाओं के लाइव प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
पिछले समिट की नींव पर आधारित, छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन 2025 का उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक नवाचारों के बीच सेतु बनाकर सतत विकास को गति देना है। यह आयोजन नीति समावेशन, औद्योगिक सततता, हरित उद्यमिता और स्वदेशी ज्ञान को प्रमुखता देगा, ताकि पर्यावरणीय और आर्थिक लचीलापन के लिए एक समग्र ढांचा तैयार किया जा सके।
• सतत विरासत एवं नीतियाँ: आदिवासी पारिस्थितिक ज्ञान को आधुनिक संरक्षण और सतत जीवनशैली की रणनीतियों के साथ जोड़ना।
• हरित उद्यमिता एवं आजीविका: स्टार्टअप्स, इनक्यूबेशन और सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल उद्योगों को प्रोत्साहित करना।
• जलवायु समाधान एवं हरित प्रौद्योगिकियाँ: कार्बन कैप्चर, ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण को बढ़ावा देना।
• सतत उद्योग एवं डीकार्बोनाइजेशन: हरित स्टील, पर्यावरण अनुकूल सीमेंट और कचरा न्यूनीकरण में नवाचारों को प्रोत्साहन।
• उत्तरदायी खनन एवं कार्बन न्यूट्रैलिटी: सतत खनन, कार्बन क्रेडिट कार्यक्रमों और खनन में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को लागू करना।
• आदिवासी ज्ञान एवं सांस्कृतिक संरक्षण: सतत आजीविका और वन संरक्षण के माध्यम से स्वदेशी समुदायों को सशक्त बनाना।
स्थल के बारे में
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (PRSU), जिसकी स्थापना 1964 में हुई थी, छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना और सबसे बड़ा उच्च शिक्षा संस्थान है। यह रायपुर के पश्चिमी भाग में स्थित है और शैक्षणिक उत्कृष्टता एवं अनुसंधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध है।
विश्वविद्यालय में एक वातानुकूलित ऑडिटोरियम है, जिसमें आधुनिक ऑडियो-विज़ुअल सुविधाएं उपलब्ध हैं और यह 550 से अधिक प्रतिभागियों को समायोजित कर सकता है। यह स्थान प्रमुख शैक्षणिक और सांस्कृतिक आयोजनों जैसे दीक्षांत समारोहों और सम्मेलनों के लिए नियमित रूप से उपयोग में आता है।
इसके अतिरिक्त, PRSU में कई कॉन्फ्रेंस हॉल्स भी हैं, जो तकनीकी सत्रों, पैनल चर्चाओं और नेटवर्किंग के अवसरों के लिए पूरी तरह से सुसज्जित स्थल प्रदान करते हैं।
300 एकड़ में फैला हुआ यह परिसर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है, जो छत्तीसगढ़हरित शिखर सम्मेलन 2025 के लिए एक आदर्श स्थल के रूप में कार्य करेगा, जहां सतत विकास, औषधीय पौधों और हरित उद्यमिता जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
वैश्विक दर्शक
हरित नेता
नीति निर्माण सत्र
बी2बी बैठकें
हरित नवाचारों को बढ़ावा देना
हरित प्रदर्शनी
स्वदेशी चित्रांकन गुदना
कार्यशाला
हरित संगीत
पर्यावरण योद्धाओं का सम्मान
टिकाऊ कला और शिल्प
प्रतिभागियों के लिए प्रमाण पत्र
शैक्षणिक शोध पत्र प्रस्तुतियाँ
आप कैसे मदद कर सकते हो?
अकादमिक साझेदार बनें और अगली पीढ़ी के लिए हरित एजेंडा बनाने में मदद करें
तकनीकी सत्र/ग्रीन आर्ट/रिदम ऑफ द हिल्स का आयोजन
तकनीकी सत्र में बोलें और अपने हरित सबक साझा करें
इसमें भाग लें और एक हरित कल के लिए खुद को तैयार करने के लिए सशक्त बनाएं
हरित B2B बैठक की मेजबानी करें
हरित मुद्दों पर शोधपत्र प्रस्तुत करें, दूसरों को सशक्त बनाएं
हरित नीति निर्माताओं के लिए पावर ब्रेकफास्ट सत्र का आयोजन
अपने हरित उत्पादों का प्रदर्शन करें
इस शिखर सम्मेलन में पर्यावरणविदों और अन्य संसाधन व्यक्तियों के सत्र, प्रकृति से प्रेरित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य अनोखे कार्यक्रम शामिल हैं, जो राज्य के आम लोगों को ध्यान में रखकर आयोजित किए जाएँगे, जिसमें पर्यावरण का छत्तीसगढ़ और पूरे देश की लोक परंपरा, कला और संस्कृति से संबंध दर्शाया जाएगा। छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन का उद्देश्य राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है, जिसमें सभी क्षेत्रों के हितधारकों को एक साथ लाकर विचार-विमर्श करना, अनुभव साझा करना और राज्य में सामने आ रही कुछ अनूठी चुनौतियों के समाधान का प्रस्ताव देना शामिल है, जिसका अंतर्निहित विषय ‘हरित छत्तीसगढ़, स्वच्छ छत्तीसगढ़’ है।
- राजनेता एवं नीति निर्माता
- नौकरशाह और टेक्नोक्रेट
- शिक्षाविद
- नागरिक समाज समूह
- राज्य/केन्द्र सरकार के संगठन
- छात्र एवं युवा
- संयुक्त राष्ट्र एवं अंतर्राष्ट्रीय निकाय एवं व्यवसाय
- क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने में हिस्सेदारी रखने वाले घराने
- प्रकृति प्रेमी
- कला प्रेमी एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता
- स्थानीय समुदाय
- पड़ोसी देशों भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश के प्रतिनिधि
- हरित एनजीओ सदस्य एवं आम जनता।
- • विभिन्न स्थानों पर सभी इवेंट ब्रांडिंग/साइनेज पर कॉर्पोरेट लोगो शामिल किया गया।
- • सभी कार्यक्रम संचार सामग्रियों, समाचार पत्रों में विज्ञापन आदि में कॉर्पोरेट लोगो।
- • ग्राउंड कोलैटरल और पंजीकरण किट में कॉर्पोरेट लोगो शामिल है।
- • आयोजन स्थल पर सभी दृश्य-श्रव्य कार्यक्रमों में कॉर्पोरेट ब्रांडिंग।
- • समिट वेबसाइट और कॉफी टेबल बुक में ब्रांडिंग/विज्ञापन के अवसर।
- • प्रासंगिक सत्र में विशेषज्ञता के क्षेत्र में वक्ता/प्रतिभागी का अवसर।
- • पंजीकरण किटों में हरित पहलों पर कंपनी के ब्रोशर को प्रायोजित करें।
सलाहकार बोर्ड

श्री केदार कश्यप
छत्तीसगढ़ के माननीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री

श्री गोपाल आर्य
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक

श्री जे. नंदकुमार
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक

श्री वी. श्रीनिवास राव, आईएफएस
मुख्य वन संरक्षक एवं प्रमुख वन बल प्रमुख, छत्तीसगढ़

डाॅ. आशीहो असोसी माओ
पूर्व निदेशक, वनस्पति सर्वेक्षण भारत

प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल
कुलपति, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़

प्रो. राजीव प्रकाश
निदेशक, आईआईटी भिलाई

प्रो. पीयूष कांत पांडे
कुलपति, एमिटी विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़

श्री शंखदीप चौधुरी
संस्थापक, छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन
अध्यक्ष, विविड्ग्योर एन.ई. फाउंडेशन
समन्वयक एवं सचिव

श्रीमती बिटापी लुहोए
समन्वयक, छत्तीसगढ़ हरित शिखर सम्मेलन
सचिव, विविड्ग्योर एन.ई. फाउंडेशन
संरक्षक
प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल
कुलपति, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
प्रो. राजीव प्रकाश
निदेशक, आईआईटी-भिलाई
सह-समन्वयक
प्रो. केशव कांत साहू
अध्ययन संकाय – जैव प्रौद्योगिकी
प्रो. दीपेन्द्र सिंह
विश्वविद्यालय औषधि संस्थान
शैक्षणिक परामर्श मंडल
प्रो. एन. बोधंकर
अध्ययन संकाय – भूविज्ञान एवं जल संसाधन प्रबंधन
प्रो. रीता वेणुगोपाल
महिला अध्ययन केंद्र
प्रो. राजीव चौधरी
अध्ययन संकाय – विधि
प्रो. संजय कुमार
अध्ययन संकाय – कंप्यूटर विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी
प्रो. बी.एस. ठाकुर
अध्ययन संकाय – गणित
प्रो. मानस कांति देब
अध्ययन संकाय – रसायन विज्ञान
प्रो. ए.के. श्रीवास्तव
प्रबंधन संस्थान
प्रो. डी.पी. बिसेन
अध्ययन संकाय – भौतिकी एवं खगोल भौतिकी
प्रो. कविता ठाकुर
नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान
प्रो. आर.के. ब्रह्मे
अध्ययन संकाय – अर्थशास्त्र
प्रो. (डा.) एल.एस. गजपाल
अध्ययन संकाय – समाजशास्त्र एवं सामाजिक कार्य
प्रो. सी.डी. अगाशे
अध्ययन संकाय – शारीरिक शिक्षा
प्रो. आरती परगनिहा
अध्ययन संकाय – जीवन विज्ञान
प्रो. संजय जे. दहरवाल
विश्वविद्यालय औषधि संस्थान
प्रो. अफाक कुरैशी
अध्ययन संकाय – जैव प्रौद्योगिकी